जय हो का जबाब भय हो

जय हो का जबाब भय हो इश पोस्ट को देखना मना है
आप क्यो चाहते हो चुनाव हो ? दंगा हो आतंक हो भष्टाचार हो ? किसान का बिनाश हो ? पानी का निजीकरण हो? रोटी का निजीकरण हो ? मकान का निजीकरण हो ? ओक्सीजेन का निजीकरण हो ? नदियों का निजीकरन हो ? पदुषण का निजीकरण हो ? देश की कोई अपनी पहचान हो ? भारत इंडिया के रूप में गुलाम हो ? वो बम बनाये और हम खरीदार हो ? वो आतंकबादी भेजे और हम मरने को तैयार हो ? क्यो चाहतो हो की आने वाला समय और ख़राब हो ?आप क्यो चाहते हो चुनाव हो ?
गुंडा हो बदमाश हो ,
आतंकबादी हो,
घोटालेबाज हो,
देश का गद्दार हो ,
चाहे वो देश को तोड़ने को तैयार हो,
फिरभी सांसद हो,
जय हो या फिर भय हो
कुछ हो चाहे हो लेकिन जनता का सब कुछ गय हो समझो

लोकसभा चुनाव रद्द कराने तथा स्विस बैंक में जमाधन वापस भारत लाने के लिए

बहुत ही गर्व के साथ आज आप को मैं पत्र लिख रहा हूँ, मुझे गर्व इस बात का नहीं कि हमारे देश को आजाद कराने के लिए लाखों वीरो ने अपने प्राणो की आहूती दी, बल्कि मुझे गर्व उन देश के गद्दारो पर हैं जिन्होनें भारत को आजादी से पहले और आजादी के बाद अंगे्रजो का या विदेशीयों का एजेण्ट बनकर भारत को लूटा, उन शहीदों का सपना मुझे अब पूरा होता दिख रहा हैं, लेकिन शर्म इस बात का हैं। कि जिस तरह गाँधी की इज्जत को माल्या ने बचाया बस उसी तरह भारत की इज्जत इन गद्दारो के पैसो से बचेगी ,वरना भारत गुलाम था गुलाम हैं और गुलाम ही रहेगा, मैं ये नहीं जानना चाहता कि भारत के किसी प्रधानमंत्री ने भारत की जनता का कितना विकास किया , लेकिन ये जरूर चाहता हूँ कि कितना कर्जा भारत के विकास के नाम पर विदेशों से लिया गया,और लेने देने में कितना कमीशन खा लिया गया, वो चाहे गाँव का प्रधान हो या इस देश का प्रधानमंत्री सभी ने इस देश को बर्बाद करने का सम्पूर्ण प्रयास किया हैं, इसका प्रमाण इस देश की जनता के पास हैं।
जिसके पास है जितना गाँधी वो उतना ही बड़ा ईमानदार है,
जिसके पास नहीं हैं गाँधी वो सबसे बड़ा गद्दार है।
मत पूछो ये कैसी सरकार है,
जिन लोगो ने धर्म के नाम पर देश के दो टुकड़े किए आज भी उन्हीं की सरकार हैं,
इसलिए तो कहते हैं मेरा भारत महान है।
100 में 99 बंे बेईमान है जो भारत को बेचने के लिए आज भी तैयार है। नेता
जब तिजोरियो में कैद है आजादी के बाद भी गाँधी,
तो कैसे आयेगी इस देश में विकास की आधी।
गाँधी को गोडसे ने मारा तो उनको फाँसी दे दी गई, मगर जो गाँधी को रोज मार रहे है उनका क्या होगा , भारत को गाँधी सुखी स्मृद्धि और आत्म निर्भर बनाना चाहतें थे,इसलिए उन्होने स्वराज का नारा दिया लेकिन हमारेदेश के नेता भारत को विदेश बनाना चाहतें है वो भी येसा देश जहा अपना कुछ हो ,सारा विदेश कम्पनीयों का हो और हमारे देश के लोग विदेशी कम्पनियो के गुलाम हो , जिस तरह अंग्रेजों के होते थे , गाँधी के बताये रास्तेपर हमारेदेश का कोई नेेता चले चले, लेकिन सारे नेता गाँधी के लिए परेशान कुछ भी करने को तैयार है धर्म, जाति , भाषा ,प्रांत हर मुद्दे को भजाने के लिए बेकरार है, बडे़ दुख के साथ आप से अनुरोध करता हूँ,कि स्विस बैंक में जमा 1500 अरब डालर जो भारत की जनता को लूट कर जमा किया गया है, उसको भारत जाए तथा उन देश द्रोहियो को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए ,